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जब हुक्म मानते ही नहीं है वहां के हम
जब हुक्म मानते ही नहीं है वहां के हम कैसे ज़मीं की बात करें आसमां से हम गुजरे हैं रोज एक नए इम्तिहां से हम अब दूर जा रहे हैं तेरी दास्तां से हम कुछ ...
जब हुक्म मानते ही नहीं है वहां के हम
जब हुक्म मानते ही नहीं है वहां के हम कैसे ज़मीं की बात करें आसमां से हम गुजरे हैं रोज एक नए इम्तिहां से हम अब दूर जा रहे हैं तेरी दास्तां से हम कुछ ...
kuchla kiye hain kitne hi lashkar zamin ko
kuchla kiye hain kitne hi lashkar zamin ko ...