सभी हिंदी शायरी

ज़िंदगी को खा रही है ज़िंदगी

ज़िंदगी को खा रही है ज़िंदगी ...

bhagwan-khilnani-saqi

ज़िंदगी का नशा उतरने दे

ज़िंदगी का नशा उतरने दे ...

bhagwan-khilnani-saqi

तुम्हारी याद में यूँ दिन गुज़ारते हैं हम

तुम्हारी याद में यूँ दिन गुज़ारते हैं हम ...

bhagwan-khilnani-saqi

प्यार में पाकीज़गी थी वो ज़माना और था

प्यार में पाकीज़गी थी वो ज़माना और था ...

bhagwan-khilnani-saqi

फूल खिलते हैं तो काँटों को हँसी आती है

फूल खिलते हैं तो काँटों को हँसी आती है ...

bhagwan-khilnani-saqi

नज़र नज़र से मिला कर जनाब कहते हैं

नज़र नज़र से मिला कर जनाब कहते हैं ...

bhagwan-khilnani-saqi

नाम लिखना है तो लिखना मिरा दीवानों में

नाम लिखना है तो लिखना मिरा दीवानों में ...

bhagwan-khilnani-saqi

लोग हर बात को अफ़्साना बना देते हैं

लोग हर बात को अफ़्साना बना देते हैं ...

bhagwan-khilnani-saqi

लोग दुनिया में हैं सब आग लगाने वाले

लोग दुनिया में हैं सब आग लगाने वाले ...

bhagwan-khilnani-saqi

कोई निगाह-ए-परेशाँ मिरी तलाश में है

कोई निगाह-ए-परेशाँ मिरी तलाश में है ...

bhagwan-khilnani-saqi

किसी की याद में दिल बे-क़रार रहने दे

किसी की याद में दिल बे-क़रार रहने दे ...

bhagwan-khilnani-saqi

खुली आँखों से हर सपना सुहाना देखते जाओ

खुली आँखों से हर सपना सुहाना देखते जाओ ...

bhagwan-khilnani-saqi

जुस्तजू-ए-बहार आज भी है

जुस्तजू-ए-बहार आज भी है ...

bhagwan-khilnani-saqi

जैसे चलती है ज़माने की हवा अच्छी है

जैसे चलती है ज़माने की हवा अच्छी है ...

bhagwan-khilnani-saqi

हर ख़ुशी ग़म की घटाओं में छुपी रहती है

हर ख़ुशी ग़म की घटाओं में छुपी रहती है ...

bhagwan-khilnani-saqi

बनते हैं रोज़ रोज़ फ़साने नए नए

बनते हैं रोज़ रोज़ फ़साने नए नए ...

bhagwan-khilnani-saqi

अश्क से दरिया हुआ दरिया से तूफ़ाँ हो गया

अश्क से दरिया हुआ दरिया से तूफ़ाँ हो गया ...

bhagwan-khilnani-saqi

आँख छुप-छुप कर मिलाने का मज़ा कुछ और है

आँख छुप-छुप कर मिलाने का मज़ा कुछ और है ...

bhagwan-khilnani-saqi

ये दुनिया अगर रश्क-ए-जन्नत न होती

ये दुनिया अगर रश्क-ए-जन्नत न होती ...

betab-amrohvi

रंज-ओ-ग़म-ए-हयात का 'उनवाँ नहीं हूँ मैं

रंज-ओ-ग़म-ए-हयात का 'उनवाँ नहीं हूँ मैं ...

betab-amrohvi
PreviousPage 89 of 642Next