सभी हिंदी शायरी

असर दु'आ में नहीं तिश्ना सारे ख़्वाब रहे

असर दु'आ में नहीं तिश्ना सारे ख़्वाब रहे ...

shahzad-niaz

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए

मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए ...

mirza-ghalib

तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िले क्यूँ लुटे

तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िले क्यूँ लुटे

shahab-jafri

मैं ने लफ़्ज़ों में जो नमी की है

मैं ने लफ़्ज़ों में जो नमी की है ...

shafique-saifi

क्या बताऊँ मैं तुम को कहानी मिरी

क्या बताऊँ मैं तुम को कहानी मिरी ...

shafique-saifi

हो लाग दरमियाँ तो कोई दिल भी तब लगाए

हो लाग दरमियाँ तो कोई दिल भी तब लगाए ...

sarmad-sahbai

ज़रा से नूर पर इतरा रहे हैं

ज़रा से नूर पर इतरा रहे हैं ...

sapna-jain

ये दिल जब से मोहब्बत में लगा है

ये दिल जब से मोहब्बत में लगा है ...

sapna-jain

वफ़ा का सर पे मिरे साएबान रहने दे

वफ़ा का सर पे मिरे साएबान रहने दे ...

sapna-jain

न जाने क्यों गुमाँ ये हो रहा है

न जाने क्यों गुमाँ ये हो रहा है ...

sapna-jain

मोड़ ऐसा भी मोहब्बत में कभी आएगा

मोड़ ऐसा भी मोहब्बत में कभी आएगा ...

sapna-jain

दोस्त गलियाँ शहर घर सारे पुराने हो गए

दोस्त गलियाँ शहर घर सारे पुराने हो गए ...

sapna-jain

दिल जलाने का काम करता है

दिल जलाने का काम करता है ...

sapna-jain

ज़ीस्त की शाम तलक तेरी तलब

ज़ीस्त की शाम तलक तेरी तलब ...

samar-khanabadosh

उसे रहगुज़र कोई खा गई या बिछड़ के अपने ही घर गया

उसे रहगुज़र कोई खा गई या बिछड़ के अपने ही घर गया ...

samar-khanabadosh

तुझ को मा'लूम नहीं क्या मिरे ग़म-ख़्वार रखी

तुझ को मा'लूम नहीं क्या मिरे ग़म-ख़्वार रखी ...

samar-khanabadosh

सहराओं में ख़ाक उड़ाई सूरत मजनूँ वाली की

सहराओं में ख़ाक उड़ाई सूरत मजनूँ वाली की ...

samar-khanabadosh

रह-ए-तलब में हज़ारों ही रास्ते नापे

रह-ए-तलब में हज़ारों ही रास्ते नापे ...

samar-khanabadosh

मंज़िलें दूर हैं और आबला-पाई अपनी

मंज़िलें दूर हैं और आबला-पाई अपनी ...

samar-khanabadosh

ख़्वाहिशें मारना थोड़े पे गुज़ारा करना

ख़्वाहिशें मारना थोड़े पे गुज़ारा करना ...

samar-khanabadosh
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