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'अख़्तर' को तो रीए में भी है 'आर क्या करे
'अख़्तर' को तो रीए में भी है 'आर क्या करे ...
ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है
ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है ...
हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं
हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं ...
दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा
दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा ...
ये तिरी तख़्लीक़ ना-फ़र्जाम ये टेढ़ी ज़मीन
ये तिरी तख़्लीक़-ए-ना-फ़र्जाम ये टेढ़ी ज़मीन ...
मैं ने जब उस से कहा तुम से मोहब्बत है मुझे
मैं ने जब उस से कहा तुम से मोहब्बत है मुझे ...
जो पूछता है कोई सुर्ख़ क्यों हैं आज आँखें
जो पूछता है कोई सुर्ख़ क्यों हैं आज आँखें ...