ख़्वाब जैसी कहीं कहीं शायद ...
किसी दिन तुम्हें याद करते हुए मैं ...
सुना है मैं ने कि अब सितारे ...
तुझे ख़बर नहीं ऐ बेवफ़ा हज़ारों ने ...
सभी पढ़ते रहे चेहरा हमारा ...
मुस्कुरा कर गुज़र गया कोई ...
गुल भी हो सकता है और जाम भी हो सकता है ...
अपने दिल से मिरी यादों को हटाने वाला ...
रुका सा था कोई मंज़र मगर ठहरा नहीं था ...
ख़्वाहिश का बोझ रख लिया दिल की असास पर ...
ख़्वाब में हाथ छुड़ाती हुई तक़दीर का दुख ...
कभी कपड़े बदलता है कभी लहजा बदलता है ...
उन से कहता हूँ याद कर मुझ को ...
उन के सीने पे रख के सर हम ने ...
उन के नक़्श-ए-क़दम महकते हैं ...
तेरी तस्वीर मेरे पास नहीं ...
दिल से निकली है गर दु'आ मेरी ...
शहीदों का तिरे शोहरा ज़मीं से आसमाँ तक है
दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूट
ज़िंदगी तू ने 'अजब बात ये बतलाई है ...