मैं मीरा नहीं ...
हर एक ख़्वाब की मीआ'द ...
जिस से करनी थी तौबा ...
तेरी परछाइयाँ ही साथ रहीं ...
नींद की वादियों के अच्छे ख़्वाब ...
नए नए जो परिंदे हैं सब उड़ान में हैं ...
लिखती हूँ सब हिकायतें दिल की ...
जुनूँ की क़ीमत चुका रहे हैं ...
जीवन में नुक़्सान घटाया जा सकता है ...
जादू-भरे खिलौने लोग ...
बड़ा बे-दर्द होता जा रहा है ...
आओ हम तय करें क़रार कोई ...
शाख़-ए-गुल छीन लें गुल-ए-तर से ...
इब्तिदा-ओ-इंतिहा है आइना-दर-आइना ...
किसे सूरज किसे चंदा कहें हम ...
करेगी ख़ुद-कुशी आख़िर मोहब्बत ...
अगर करो तो करो गुफ़्तुगू इशारे से ...
जब कभी हिज्र के आसार नज़र आते हैं ...
हवा का रुख़ बदलने से परिंदा हो गया ग़ुस्सा ...
कहानी और होती कुछ हमारी ...