रोना हो आसान हमारा ...
क़ुसूर-वार न ठहराइए ख़ुदा के लिए ...
क़ब्र की आग़ोश में उतरी नहीं ...
फिर से हम पड़ गए मोहब्बत में ...
फिर कहीं ज़िक्र किया है उस का ...
पता है आश्ना दुनिया है तुम से ...
नाम तुम्हारा भूल गए हम ...
ना-जाएज़ है जो भी शिकायत है मेरी ...
नहीं पाई झलक भी दिलरुबा की ...
नहीं हिम्मत तो ऐसा कीजिएगा ...
न कहो 'इलाज किया नहीं ...
मुद्दतों बा'द कहीं ऐसी घटा छाई थी ...
मिले तो कुछ बात भी करोगे ...
महवर मुझे बना सकते हो ...
मेहमाँ घर में भरे रहे ...
मज़हका-खेज़ ये किरदार हुआ जाता है ...
मौत की रौशनी में सँवारा उसे ...
मौत इधर जब भी आती है ...
मंज़र पूरा करने वाला कोई नहीं ...
मैं पहुँचा तो यार न पहुँचा ...